Shikha Arora

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लेखनी प्रतियोगिता -27-May-2022 - फसल


बीज जैसा भी कोई बोएगा,
फसल वैसी ही वो पाएगा,
अच्छे बीज की ही पैदावार,
जिंदगी में खनकार कराता हैं।
फसलों का होता मौसम एक,
खेत में बीज बोते हम अनेक,
कुछ बीज होते उपजाऊ यहां,
तो कुछ में कीड़ा पड़ जाता हैं।
संस्कारों का जो बीज रोपें,
अस्तित्व किसी का न खरोचें,
अच्छी होगी तो फसल यहां पर,
तभी किसान को रश्क आता हैं।
फसल उगाना कोई जरूरी नहीं,
बीज बोना इच्छा है मजबूरी नहीं,
पसीना जिसने बहा खेतों के लिए,
बारिश की फुहारों से खुश हो जाता हैं।
फसलों का तो आज धंधा बन गया,
लोभ में इंसान आज अंधा बन गया ,
किसानों के नाम पर होने लगी ठगी,
नफरत की ये खाद तैयार कराता हैं।।

दैनिक प्रतियोगिता हेतु
शिखा अरोरा (दिल्ली)

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9 Comments

Joseph Davis

28-May-2022 07:41 PM

Nyc

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Shnaya

28-May-2022 12:42 PM

बेहतरीन

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Punam verma

28-May-2022 11:00 AM

Nice

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